भीगा के पन्नों को अश्कों से,
तुम्हें यादों से उतारा है ,
लिख कर दास्ताँ हमारी ,
मिलने को तुम्हें बुलाया है,
अब मौसम का मिज़ाज भी बदला है ,
सूरज भी जल्दी अस्त हुआ है ,
रात का सफ़र अब थोड़ा लम्बा है ,
मुलाकातों के लिए वक़्त हमें मिला है ,
नहीं रहेगी अब बातें अधूरी,
शमा पे चाँद देर तक ठहरा है ,
ओढ़ कर प्यार की चादर ,
तुमसे मिलने को दिल तैयार बैठा है ||
तुम्हें यादों से उतारा है ,
लिख कर दास्ताँ हमारी ,
मिलने को तुम्हें बुलाया है,
अब मौसम का मिज़ाज भी बदला है ,
सूरज भी जल्दी अस्त हुआ है ,
रात का सफ़र अब थोड़ा लम्बा है ,
मुलाकातों के लिए वक़्त हमें मिला है ,
नहीं रहेगी अब बातें अधूरी,
शमा पे चाँद देर तक ठहरा है ,
ओढ़ कर प्यार की चादर ,
तुमसे मिलने को दिल तैयार बैठा है ||
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