नफरतों कि इस दुनिया में,
चाह ढूँढ़ता हूँ ,
मैं आज भी मोहब्बत बेपनाह ढूँढ़ता हूँ॥
भटका मुसाफिर हूँ ,
एक यह मेरी कहानी है ,
पहुंचा दे मंज़िल तक वो राह ढूँढ़ता हूँ ॥
निकाला गया हूँ इस तरह किसी के दिल से ,
हर किसी के दिल में, अब पनाह ढूँढ़ता हूँ ॥
लोंगो कि नज़र में नफ़रत के सिवा कुछ नहीं ,
जिसमें सिर्फ़ प्यार हो,
वह निग़ाह ढूंढता हूँ ॥
जानता हूँ कि ये मुम्किन नहीँ ,
अपनी हर गज़ल में वाह-वाह ढूँढ़ता हूँ॥
अपनी कहानी का अंदाज़ की अलग है औरों से ,
सज़ा तो मिल चुकी, बस गुनाह ढूँढ़ता हूँ॥
चाह ढूँढ़ता हूँ ,
मैं आज भी मोहब्बत बेपनाह ढूँढ़ता हूँ॥
भटका मुसाफिर हूँ ,
एक यह मेरी कहानी है ,
पहुंचा दे मंज़िल तक वो राह ढूँढ़ता हूँ ॥
निकाला गया हूँ इस तरह किसी के दिल से ,
हर किसी के दिल में, अब पनाह ढूँढ़ता हूँ ॥
लोंगो कि नज़र में नफ़रत के सिवा कुछ नहीं ,
जिसमें सिर्फ़ प्यार हो,
वह निग़ाह ढूंढता हूँ ॥
जानता हूँ कि ये मुम्किन नहीँ ,
अपनी हर गज़ल में वाह-वाह ढूँढ़ता हूँ॥
अपनी कहानी का अंदाज़ की अलग है औरों से ,
सज़ा तो मिल चुकी, बस गुनाह ढूँढ़ता हूँ॥
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